आरियाना वेलनेस सेंटर पर स्वास्थ्य जागरूरकता एवं लाइव कुकिंग कार्यशाला का आयोजन

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मथुरा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस वर्ष को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित करने की प्रतिबद्धता का सम्मान करने के लिए राधिका विहार स्थित आरियाना वेलनेस सेंटर पर स्वास्थ्य जागरूरकता एवं लाइव कुकिंग कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें मोटा अनाज के फायदे बताए गए। इससे किस प्रकार अच्छा भोजन बना सकते हैं इसको लाइव बनाकर दिखाया गया। मौजूद चिकित्सकीय टीम को स्वाद चखाया गया।


आज से वर्षों पहले हमारे खाने की परंपरा (फूड कल्चर ) बिल्कुल अलग थी। हम मोटा अनाज खाने वाले लोग थे। मोटा अनाज मतलब- ज्वार, बाजरा, रागी (मडुआ), सवां, कोदों और इसी तरह के मोटे अनाज। 60 के दशक में आई हरित क्रांति के दौरान हमने गेहूं और चावल को अपनी थाली में सजा लिया और मोटे अनाज को खुद से दूर कर दिया। पौष्टिक आहार की जगह इसका स्वाद लिया जाने लगा। इसके अधिक प्रयोग से लोग बीमारियों की चपेट में भी आने लगे। लोगों को मोटा अनाज के उपयोग की जागरूकता के लिए वर्कशॉप का आयोजन किया गया।

इसमें डा.निर्विकल्व अग्रवाल,डा.भारती गर्ग, डा.अनुराधा माहेश्वरी, डा.वर्तिका किशोर ने ऑन लाइन जुड़े लोगों को इसके लाभ बताए। इसके उपयोग से सेहत अच्छी रहेगी। पौष्टिक आहार से बीमारियां दूर होंगी। शेफ नीरू मित्तल ने कुकिंग लाइव प्रोग्राम में मिटे्लस से डिस तैयार की गई। पराठे , खीर, सलाद,उपमा बनाकर दिखाए और टीम को चेक कराया।
आईएमए के पूर्व सचिव एवं डा.रूपा गोपाल के अनुसार मोटे अनाज को पौष्टिक अनाज भी कहते हैं क्योंकि इनमें मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, विटामिन ‘बी’ सहित तमाम स्वास्थ्यवर्द्धक और आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा गेहूँ-चावल जैसे अनाज की तुलना में कहीं ज़्यादा पायी जाती है। इसीलिए भोजन में मिलेट्स के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए यह आयोजन किया गया। लोगों ने इस कार्यक्रम को अच्छा बताया।
कार्यक्रम में डा.एसके वर्मन, डा.गीता मेहता, डा.नीरजा गोयल,डा. मुक्ति माहेश्वरी, डा.करूना, रजनी मालपानी, लता गोयल, मीनू अरोरा, अजय मल्होत्रा, माला मल्होत्रा, सुनीता, जैन, शैली शाह आदि मौजूद रहे।

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