डॉ अंबेडकर बाल संरक्षण शिक्षक प्रशिक्षण की शुरुआत

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मथुरा। सोमवार को निर्मल इनिशिएटिव द्वारा डायट मथुरा के तत्वाधान में बाल यौन शोषण की रोकथाम के लिए “डॉ अंबेडकर बाल संरक्षण शिक्षक प्रशिक्षण” नामक पायलट प्रशिक्षण की शुरुआत हुई। इस पायलट में मथुरा ज़िले के 10 कंपोजिट स्कूल के प्रतिनिधि शिक्षकों ने भाग लिया। डायट प्रिंसिपल महेंद्र कुमार सिंह जी ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा की बाल यौन शौषण की रोकथाम में विद्यालय की मुख्य भूमिका है।बच्चों की लिए सुरक्षित अधिगम वातावरण का निर्माण करना शिक्षकों – शिक्षिकाओं के लिए मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। संस्था की निदेशिका श्वेता गोस्वामी ने इस कार्यशाला की अगुवाई करी और बताया कि यह कार्यशाला को मुख्य रूप से दक्षिण एशियाई भावनाओं, लिंग और हिंसा को ध्यान में रख कर ग्रामीण तथा अर्ध-शहरी इलाकों के लिए डिजाइन किया गया है।

स्कूल के शिक्षक (विशेष रूप से प्राथमिक स्तर) मॉड्यूल के प्राथमिक लाभार्थी हैं, और उनके संबंधित छात्रों को मॉड्यूल के द्वितीय लाभार्थी के रूप में देखा जा सकता है। क्योंकि, बाल यौन उत्पीड़न एक प्रयोगशाला में हुआ समीकरण नहीं है, बल्कि यह एक जटिल सामाजिक जाल है, जिसमें जेंडर, जाति, हिंसा, शरीर, बचपन, परिवार आदि शामिल होते हैं। इसलिए, इस मुद्दे के समाधान के लिए भी एक बहु-स्तरीय, ठोस और नियमित सहभागिता की आवश्यकता होती है। इसलिए यह कार्यशाला 1 वर्ष के अंतराल में छह चरणों में पूर्ण होगी जिसमे 10 प्राइमरी स्कूल शामिल रहेंगे।

इस कार्यशाला का उद्देश्य बाल यौन उत्पीड़न के प्राथमिक रोकथाम में स्कूल और शिक्षकों की भूमिका को समझना, बाल यौन उत्पीड़न के संबंध में मौजूदा पूर्वधारणाओं, भ्रमों और असहजताओं की पहचान और विचार करना तथा बाल यौन उत्पीड़न के संबंध में मुख्य अवधारणाओं और परिभाषात्मक मुद्दों को समझना है।

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