रसिया के तरानों में डुबकी लगाएंगे ग्रामीण

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ग्रामीण क्षेत्र का सबसे पसंदीदा कार्यक्रम माना जाता रहा है रसिया दंगल

इसके बाद कवि सम्मेलन भी जुटाता है खासी भीड़
फरह। एकात्म मानव दर्शन के प्रणेता की स्मृति में आयोजित चार दिवसीय महोत्सव को उल्टी गिनती शुरू हो गई है। दिन में जहां राजनैतिक लोगों का जमाबडा रहेगा, वही रात में ग्रामीण अपने मनभावन कार्यक्रमों का लुत्फ लेंगे।
लोक कला की देशज और आधुनिक संस्कृति के मिश्रण को संजोए महोत्सव की अपनी खास पहचान है। महोत्सव के माध्यम से प्राचीन थातीओ को सहेजने का निरंतर जतन आयोजकों द्वारा किया जा रहा है। यही तो वो माध्यम हैं जो हमारी प्राचीन समृद्ध परंपराओं का भान कराते हैं और जिन्ह सुन और देख इठलाते फिरते हैं।……लोक गायन…कुश्ती दंगल..राधाकृष्णन सज्जा..रंगोली…रसिया..आदि आदि। ऐसा नहीं है कि मेले में हमे हमारी प्राच्य संस्कृति का ही भान होता है,,अपितु नर सेवा नारायण सेवा का भी यहां शंखनाद होता है। स्वास्थ्य शिविर हो या गौ वंश प्रतियोगिता..या फिर किसान संगोष्ठी। हज़ारों लोग लाभ उठाते हैं। छात्रों की छुपी प्रतिभा को तराशने के लिए भी रंगमंचीय..सामान्य ज्ञान..भाषण जैसी प्रतियोगिताएं करायी जाती है। हालांकि इस बार कुछ नया भी जोड़ा गया है। डिजिटल प्रदर्शनी और इको फ्रेंडली आतिशबाजी नए कार्यक्रम होंगे। नवोदित कवियों के लिए भी कवि सम्मेलन रखा गया है।

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