बृज दर्शन

मथुरा में पहली बार हुआ, एतिहासिक त्रिदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य-कला संस्कृति सम्मेलन-2023

मथुरा में पहली बार हुआ, एतिहासिक त्रिदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य-कला संस्कृति सम्मेलन-2023


देशों के विदानों के साथ साथ 31 भारतीय साहित्यकार व कला साधकों को मिला- ‘इंटरनेशनल लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार:2023’
देश और विदेश के साहित्यकारों ने एकजुट होकर हिन्दी को ग्लोबल भाषा बनाने हेतु किया विचार-मंथन
👉हिन्दी बने विश्व की सर्वाधिक लोकप्रिय भाषा- डॉ. रामा तक्षक (नीदरलैण्ड्स)

👉 हिन्दी को ग्लोबल भाषा बनाने के लिए विश्व स्तर पर नई पीढ़ी को इससे जोड़ना है बेहद जरूरी – आचार्य डॉ. खेमचन्द यदुवंशी ‘शास्त्री’


मथुरा। हिन्दी भाषा आज विश्व के 136 देशों में बोली जाने वाली विश्व की तीसरी भाषा बन चुकी है,हमारा प्रयास है कि यह विश्व की सर्वाधिक लोकप्रिय भाषा बने क्योंकि इसका व्याकरण विश्व का सर्वोत्तम व्याकरण है। अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विशेषज्ञ डॉ. रामा तक्षक (नीदरलैण्ड्स) ने शहर के स्थानीय होटल मुकुन्द पैलेस के सभागार में अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य कला व संस्कृति केन्द्र, भारत (रजि.) तथा अखिलभारतीय ब्रज संस्कृति केन्द्र,मथुरा (रजि.) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य-कला व संस्कृति सम्मेलन:2023 के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि स्वरूपेण अपने वक्तव्य में कहा।

विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचासीन अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी सेवी डॉ. हरि सिंह पाल (प्रधान संपादक-सौरभ पत्रिका,न्यूयार्क अमेरिका) सहित अन्य विद्वानों ने अपने वक्तव्यों में हिन्दी भाषा को ग्लोबल भाषा के रूप में स्थापित करने पर बल दिया।

सम्मेलन के संयोजक व अकादमी पुरस्कार प्राप्त वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य डॉ. खेमचन्द यदुवंशी शास्त्री ने आयोजन की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए रहस्योद्घाटन किया- “हिन्दी को ग्लोबल भाषा बनाने के लिए विश्व स्तर पर हमें एकजुट होकर प्रयास करना है और इसके लिये नई पीढ़ी को इसके महत्व और उपयोगिता को समझाते हुए उन्हें जोड़ना भी बेहद जरूरी है।”

इससे पूर्व माँ शारदे की छवि पर अतिथियों ने माल्यार्पण करते हुए दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत सम्मेलन का उद्घाटन किया तथा संस्था के पदाधिकारी डॉ. एस.एस. अग्रवाल,प्रद्युम्न यदुवंशी,प्रभाकांत सक्सेना,ऋतुराज यदुवंशी,ललिता यदुवंशी ने उत्तरीय पहनाते हुए तिलक लगाकर अतिथियों का स्वागत किया।

तदोपरांत ‘विश्व क्षितिज पर हिन्दी के बढ़ते हुए कदम’ विषयक संगोष्ठी प्रारम्भ हुई जिसमें आनंद गिरी गोस्वामी ‘मायालु’ (लुम्बनी-नेपाल), डॉ. रमा पूर्णिमा शर्मा (टोक्यो-जापान), प. मदन लाल शर्मा (बर्गहिंगम,लन्दन), गोपाल बघेल ‘मधु’ (टोरेंटो,कनाडा), डॉ. नीलू गुप्ता (केलिफोर्निया,अमेरिका), डॉ. प्रमिला भार्गव,(टोरेंटो, कनाडा), डॉ. किरण लता वैद्य (ऑस्ट्रेलिया), छोटू प्रजापति (सऊदी अरब) ने हिन्दी की बढ़ती लोकप्रियता को अपने अपने दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया।
इसीक्रम में विश्व स्तरीय हिन्दी सेवी डॉ. हरि सिंह पाल (नई दिल्ली), प्रोफ़ेसर एस. पी. सिंह (बिहार), अवधेश कुमार सक्सेना ‘अवधेश’ (मध्यप्रदेश), धीरेन्द्र सिंह (देहरादून), दिनेश श्रीवास्तव (आजमगढ़), शिक्षाविद हीरा लाल पाण्डेय (नई दिल्ली), डॉ. ओमेन्द्र कुमार वर्मा (लखनऊ), रामेन्द्र कुमार शर्मा ‘रवि’ (आगरा), सपना बनर्जी (आजमगढ़) के साथ साथ स्थानीय विद्वान व पत्रकार श्याम सुन्दर ओझा (ब्यूरोचीफ-अमर उजाला, मथुरा), चन्द्र प्रताप सिकरवार (समन्वयक- गीता शोध संस्थान, वृन्दावन), राकेश कुमार शर्मा (वरिष्ठ पत्रकार-हिन्दुस्तान समाचार पत्र, मथुरा), भागवताचार्य प. गोपाल प्रसाद उपाध्याय ‘गोप’, डॉ. हरिबाबू ओम, प्रोफ़ेसर डॉ. पल्लवी सिंह, प्रोफ़ेसर डॉ. नीतू गोस्वामी, डॉ. शैल कुमारी गौतम आदि ने हिन्दी के विश्व क्षितिज पर बढ़ते हुए कदम का साहित्यिक विश्लेषण प्रस्तुत किया।
अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ शिक्षाविद व साहित्यकार डॉ. नटवर नागर ने कहा कि हिन्दी की शोभायात्रा भारत की सीमा-रेखा को पार करके विदेशी भूमि पर बड़े सम्मान के साथ आगे बढ़ रही है,अब हिन्दी न केवल भारत में बल्कि विश्व के अनेकानेक देशों में लगभग साढ़े तीन सौ करोड़ लोगों की भाषा बन चुकी है।”

इस अवसर पर 9 देशों के अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यकारों सहित 31 विश्व स्तरीय साहित्यकारों व कला साधकों को इंटरनेशनल लाइफ टाइम अचीवमेंट एवार्ड:2023 से सम्मानित किया गया:-

● डॉ. रामा तक्षक – हिन्दी साहित्य (नीदरलैण्ड्स)
● श्री गोपाल बघेल ‘मधु’- हिन्दी साहित्य व आध्यात्मिक प्रबंधन (कनाडा)
● डॉ. रमा पूर्णिमा शर्मा- हिन्दी साहित्य (जापान)
● डॉ. मोहनकांत गौतम-
हिन्दी साहित्य व शिक्षण (नीदरलैंड्स)
● प. मदन लाल शर्मा- हिन्दी साहित्य व ज्योतिष विज्ञान (लन्दन)
● डॉ. नीलू गुप्ता – हिन्दी साहित्य (केलिफोर्निया),
● डॉ. प्रमिला भार्गव – हिन्दी साहित्य (कनाडा),


● डॉ. आनन्द गिरी मायालु – हिन्दी साहित्य (नेपाल)
● श्री छोटू प्रजापति- हिन्दी साहित्य (सऊदी अरब)
● डॉ. हरि सिंह पाल- हिन्दी साहित्य लेखन व सम्पादन (नई दिल्ली)
● प्रोफ़ेसर डॉ. सिध्देश्वर प्रसाद सिंह – हिन्दी साहित्य व शिक्षा (बिहार)
● श्री हीरा लाल पाण्डेय – शिक्षा व समाज सेवा (नई दिल्ली)


● श्री अवधेश कुमार सक्सेना- हिन्दी साहित्य व ज्योतिष विज्ञान (शिवपुरी-मध्यप्रदेश),
● श्री अमित कुमार दीक्षित ‘रामजी’-लोकनाट्य नौटंकी: अभिनय व निर्देशन (लखनऊ)
● श्रीमती सपना बनर्जी – सुगम सङ्गीत गायन-वादन (आजमगढ़),
● श्री धीरेन्द्र शर्मा – हिन्दी साहित्य व पुरातत्व सर्वेक्षण (देहरादून-उत्तराखण्ड),
● श्री दिनेश श्रीवास्तव – हिन्दी साहित्य (आजमगढ़)
● डॉ. ओमेन्द्र कुमार वर्मा- हिन्दी रंगमंच (लखनऊ)


● डॉ. संजय सुकृतिदास राय बर्वे- हिन्दी साहित्य व प्रसारण-सेवा (नागपुर)
● श्रीमती सुमिता चौधरी- हिन्दी साहित्य व शिक्षा (जलपाई गुड़ी,पश्चिम बंगाल),
● श्रीमती सुमंगला सुमन- हिन्दी साहित्य व शिक्षा (मुम्बई),
● डॉ. चन्द्रकला भारती – हिन्दी साहित्य (बिजनौर)
● डॉ. मुकेश वर्मा ‘सोनी’ – हिन्दी रंगमंच व लोकगायन (जयपुर)
● डॉ. रामेन्द्र कुमार शर्मा ‘रवि’ – हिन्दी काव्य (आगरा)
● डॉ. नटवर नागर – हिन्दी साहित्य व शिक्षा (मथुरा)
● प्रोफेसर डॉ. पल्लवी सिंह (प्रवक्ता-के.आर.महिला महाविद्यालय,मथुरा)
● डॉ. नीतू गोस्वामी-हिन्दी साहित्य व शिक्षा (आर. सी.ए.महाविद्यालय,मथुरा)
● श्री श्याम सुन्दर ओझा पत्रकारिता (ब्यूरोचीफ-अमर उजाला,मथुरा)
● श्री राकेश कुमार शर्मा-पत्रकारिता (हिंदुस्तान समाचार पत्र,मथुरा),
● डॉ. मेज़र अजीत सिंह- चिकित्सा (जय वंश हेल्थ केयर,मथुरा)
● डॉ. शैल कुमारी गौतम – हिन्दी साहित्य व शिक्षा (मथुरा)
● डॉ. सीमा मोरवाल – लोक संगीत (मथुरा)
● डॉ. एम. पी. गौतम- चिकित्सा (एलर्जी व चर्म रोग विशेषज्ञ,मथुरा)
● भगवताचार्य प. दामोदर शर्मा शास्त्री – लोकगायन (पिरसुआ-मथुरा)
● श्री अशोक कुमार नीलेश- सुगम सङ्गीत गायन-वादन (मथुरा)
● श्री राजू बाबू – शहनाई वादन (मथुरा)

द्वितीय सत्र में सम्मानित कला साधकों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया जिसके प्रारम्भ में सपना बनर्जी (आजमगढ़) ने अपने हिन्दी गीत,भजन और गजलों के सुमधुर गायन से वातावरण को संगीतमय बना दिया। इसीक्रम में सुप्रसिद्ध शहनाई वादक राजू बाबू व साथियों ने एक ओर जहाँ शहनाई वादन कर श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी की धुन बजाई वहीं दूसरी ओर लोकगायक सुरेश वर्मा (आगरा) तथा डॉ. मुकेश वर्मा सोनी (जयपुर) ने ब्रजलोक गायन से सभी को तरंगित करते हुई थिरकने पर मजबूर कर दिया। नौटंकी गायक व निर्देशक डॉ. अमित कुमार दीक्षित रामजी (लखनऊ) और रंगकर्मी डॉ. ओमेन्द्र कुमार वर्मा ने अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से खूब वाहवाही लूटी”

पुस्तकों का विमोचन हुआ:
● विश्व गौरव मोदी जी (प्रोफ़ेसर नीलू गुप्ता ‘विद्यालंकार’-कैलिफोर्निया),
● साहित्य का विश्वरंग (सम्पादक- डॉ. रामा तक्षक-नीदरलैण्ड्स, हॉलैंड),
● सौरभ: त्रैमासिक पत्रिका (सम्पादक- डॉ. हरि सिंह पाल,न्यूयार्क-अमेरिका),
● श्रीराधा सर्वेश्वरी व नागरी संगम (सम्पादक-डॉ. हरि सिंह पाल, नई दिल्ली)
● उर्दू और हिन्दी लिपि का ग़ज़ल संग्रह:मिल गई मंज़िल मुझे (इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना ‘अवधेश’- शिवपुरी, मध्यप्रदेश)

● द्वादश निधियाँ (सम्पादक-प. गोपाल प्रसाद उपाध्याय ‘गोप’- परासौली, गोवर्धन)

त्रिदिवसीय सम्मेलन का समापन विश्व प्रसिद्ध महाकवि सूरदास की साधना स्थली परासौली (गोवर्धन) स्थित उनकी बैठक पर ‘विश्व पटल पर सूर-तुलसी’ विषयक साहित्यिक चर्चा काव्य-काव्य गोष्ठी और विदाई समारोह के साथ सम्पन्न हुआ।

संचालन आकाशवाणी के उद्घोषक डॉ. दीपक गोस्वामी ने किया तथा संस्था के महासचिव व संयोजक आचार्य डॉ. के. सी. यदुवंशी ‘शास्त्री’ ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।

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